रायगढ़। लाखा से लेकर पूंजीपथरा तक छोटे-बड़े सैंकड़ों उद्योग स्थापित हो चुके हैं। कभी सुन्दर घने वनों से आच्छादित यह क्षेत्र अब भयंकर प्रदूषण की चपेट मे है। जंगल लगभग ख़त्म हो चुके हैं, क्षेत्र की हवा जहरीली व् वातावरण गर्म हो चला है। उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं क्षेत्र मे मौत परोस रहा है, यह बात सबको पता है कि यह क्षेत्र अब और उद्योग नहीं झेल सकेगा फिर भी शासन-प्रशासन की कृपा से रायगढ़ एक और प्रदूषणकारी उद्योग के स्थापना के लिए तैयार है। शासन-प्रशासन का यह भरसक प्रयास रहता है कि बिना रुकावट के लोक सुनवाई सम्पन्न हो जाये और यह प्रयास 23 दिसंबर को प्रीस्मो स्टील्स एंड पावर लिमिटेड की जनसुनवाई में भी दिखेगा।
घरघोड़ा तहसील के ग्राम तुमीडीह 23 दिसंबर की प्रातः 11:00 बजे इस प्लांट के विस्तार के लिए लोक सुनवाई रखी गई है। प्रीस्मो स्टील वृहद स्तर पर विभिन्न उत्पादों की उत्पादन क्षमता के साथ स्थापित होने जा रहा है। उद्योग प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत फर्जी ईआईए रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरण विभाग प्लांट के विस्तार के लिए पूरी मदद भी कर रहा है। जनसुनवाई प्लांट के स्थापना / विस्तार से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के मद्देनजर रखी जाती है चूंकि पूंजीपथरा क्षेत्र में पहले से ही भारी और प्रदूषणकारी उद्योगों की भरमार है, यह क्षेत्र पूरे देश में सबसे प्रदूषित क्षेत्र के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। ऐसे में फिर एक उद्योग को अनुमति प्रदान करना पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है।
उद्योगों से किसको लाभ – क्षेत्र मे स्थापित उद्योगों से अब तक प्रभावित क्षेत्र व स्थानीय निवासियों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है, वरन उद्योगपति और क्षेत्र मे उनके सक्रीय दलालों ने भोले-भाले ग्रामीणों को ठगकर औने-पौने दामों मे उनकी बेशकीमती कृषि भूमि को हासिल कर लिया, वहीं यदि भू-अर्जन के तहत जमीनें ली जातीं तो भू-स्वामियों को ज्यादा लाभ होता। जमीन चली जाने से कृषि कार्य से वंचित क्षेत्रवासियों को इन स्थापित उद्योगों मे उचित रोजगार भी हासिल न हो पाया लिहाजा अब वे जैसे-तैसे अपनी आजीविका चला रहे हैं, या तो पलायन कर रहे हैं और वहीं स्थानीय उद्योगों मे बाहरी अन्य प्रान्तों से लोग आकर काम कर रहे हैं, उद्योगों के दलाल उनके फर्जी दस्तावेज बना कर स्थानीय नागरिकता दिला रहे हैं।
कमजोर बुनियादी ढांचा दे रहा मौत को दावत – करोड़ों के सीएसआर व डीएमएफ के अलावा शासन को अरबों रुपये राजस्व देने वाला रायगढ़ जिला आज शासन-प्रशासन की उदासीनता का शिकार है। सरकारी तंत्र उद्योगों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारी कमाई तो कर रहा है पर क्षेत्रवासियों को झूठे दिलासों के अलावा और कुछ नहीं दे रहा है। सैंकड़ों उद्योगों के अलावा इसी मार्ग पर तमनार, घरघोड़ा, जामपाली तक खदानें भी खुल चुकी हैं, लिहाजा हजारों की संख्या मे भारी वाहनों की आवाजाही होती रहती है। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले इसी खस्ताहाल रायगढ़- धरमजयगढ़ मार्ग को लेकर भारी राजनीती हुई थी। उद्योगों-खदानों के अलावा पत्थलगांव, अम्बिकापुर, जशपुर व अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से यह सड़क जुडी हुई है। आम लोगों के आवाजाही हेतु यही प्रमुख मार्ग है, लिहाजा यातायात के भारी दबाव के मद्देनजर आवश्यकता फोरलेन सड़क की थी किन्तु शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण रोजाना मासूम जिंदगियां इन्ही संकरी सडकों पर तेज रफ़्तार भारी औद्योगिक वाहनों से अकारण काल के गाल मे समा रही हैं।
जल जंगल जमीन सभी प्रदूषित – लगातार स्थापित होते उद्योग व उनके हो रहे विस्तार से क्षेत्र भारी प्रदूषण की चपेट मे है। लाखा से लेकर पूंजीपथरा, तमनार, घरघोड़ा, धरमजयगढ़ का क्षेत्र घने सुन्दर वनों के साथ-साथ जैव विविधताओं से भी भरा था, किन्तु भ्रष्ट तंत्र ने क्षेत्रवासियों से सब कुछ छीन लिया। न जंगल बचे और न जीव-जन्तु, लगातार दोहन से भूगर्भीय जलस्तर गिर गया साथ ही फ्लाई एश व अन्य औद्योगिक अपशिष्टों से सतही जल भी दूषित हो गया। दूषित पानी और जहरीली हवा से सांस, चमड़ी व अन्य लाईलाज बीमारियों के शिकार आम लोग हो रहे हैं।
शासन-प्रशासन द्वारा जनता के हितों की अनदेखी व उद्योगों को मनमानी की दी गयी छूट के कारण ग्रामीणों में इस उद्योग के स्थापना लेकर भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र मे नवीन उद्योगों की स्थापना व पूर्व स्थापित उद्योगों के विस्तार की अनुमति नियम-कानून को ताक पर रखकर दी जा रही है। इस प्लांट से होने वाले प्रदूषण से तराईमाल, भुईकुर्री, गदगांव, सराईपाली, आमाघाट, भालुमार, राबो, अमलीडीह, सामारुमा, छर्राटांगर, तुमीडीह जैसे दर्जनों गांव प्रभावित होंगे। लाखा से लेकर पूंजीपथरा तक स्थापित उद्योगों ने अपने आसपास के प्रभावित ग्रामों में अपने सीएसआर मद से आज तक कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं कराया, जिसके कारण प्रभावित गांव बदहाल हैं, युवा बेरोजगार हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है इस प्लांट की जनसुनवाई में क्षेत्रवासियों का जबरदस्त विरोध देखा जा सकता है।
अब देखने वाली बात है कि रायगढ़ जिले के पर्यावरण प्रेमी और उच्च पदों पर बैठे अधिकारी क्या क्षेत्र में विनाशकारी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की फेहरिस्त में एक और नए प्लांट को अनुमति दिलाने का प्रयास करेंगे या इसका विरोध करेंगे। बहरहाल पर्यावरण विभाग 23 दिसंबर को इस प्लांट की लोकसुनवाई कराने की तैयारी के लिए जुट चुका है।