रायगढ़ ( वरिष्ठ पत्रकार व शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी के पिता श्री सुभाष त्रिपाठी जी की कलम से ) । हमारे देश में देशभक्ति के नाम पर ढोंग, दिखावा और नौटंकी करने वालों की कोई कमी नहीं है। पर हमारे ही देश में देशप्रेम का पवित्र भाव रखने वालों की भी कमी नहीं है। ऐसे ही एक देशभक्त से पिछले दिनों हमारी मुलाकात हुई।
हम रीवा सैनिक स्कूल से स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के बाद वापस लौट रहे थे तभी बीच रास्ते में हम गोहापहारू नाम के एक छोटे से गांव में स्थित शुक्ला ढाबा में खाना खाने के लिये रूके। ढाबा में दाखिल होने के बाद एकबारगी हम यह देखकर चकित हो गये कि ढाबा के एक दीवाल में यह लिखा हुआ था कि शहीदों का सम्मान, देश के लिये शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों के लिये यह दुकान नि:शुल्क है। एकबारगी हमें इस बात पर यकीन नहीं हुआ तो हमने ढाबा के काऊंटर में बैठे युवक से बातचीत की तो उसने बताया कि हां यह सच है कि ढाबा में शहीदों के परिजनों से भोजन का कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
हमने उसे बताया कि हम भी मणिपुर में शहीद होने वाले कर्नल विप्लव त्रिपाठी के परिजन है और उसी के स्कूल रीवा में आयोजित एक समारोह में शामिल होने आये थे। तब उसने हमें सम्मानपूर्वक भोजन करने के लिये टेबल पर बैठने का आग्रह किया और हम लोगों ने वहां बेहतरीन भोजन किया। तब तक ढाबा के संचालक अभिमन्यु शुक्ला स्वंय ढाबा पहुंच गये थे। हमें देखकर उनकी आंखें नम थी। उन्होंने बताया कि वे भी रिटायर फौजी है और रिटायर होने के बाद यहां इस ढाबे का संचालन कर रहे हैं। करीब ४-५ वर्षों से संचालित इस ढाबा में जब कभी कोई शहीद परिजन आये हैं तो हमने उनका सम्मान उन्हें नि:शुल्क भोजन कराकर किया है।
अभिमन्यु शुक्ला ने यह भी कहा कि एक फौजी को रूपये पैसे, जमीन, जायदाद की जरूरत नहीं होती वह सिर्फ सम्मान चाहता है। हम इसीलिये शहीदों के परिजनों को यहां नि:शुल्क भोजन कराकर उनका सम्मान करते हैं। इसे कहते है देशभक्ति का सच्चा जज्बा हो सकता है शुक्ला जी के ढाबे में साल में एक दो ही शहीद परिजन आते हो फिर भी उनके द्वारा सम्मान का यह तरीका हृदय से सम्मान करने जैसा है।
यहां मैं बेहिचक यह कह सकता हूँ कि शुक्ला ढाबा के के संचालक अभिमन्यु शुक्ला जिस तरह देश के लिये प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों का सम्मान कर रहे हैं उसके आगे शहीदों के सम्मान में जारी किये जाने वाले तमाम तमगों और अलंकरणों की चमक फीकी पड़ जाती है।